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Tuesday, September 16, 2008

आईपीटीवी IP-TV

आईपीटीवी: इंटरनेट प्रोटोकॉल टेलीविजन (आईपीटीवी) में इंटरनेट ब्रॉडबैंड की सहायता से टेलीविजन प्रोग्राम्स आपके घरों तक पहुंचता है। सच तो यह है कि यदि आप टेलीविजन के प्रोग्राम डीटीएच या केबल नेटवर्क के बजाय, कम्प्यूटर नेटवर्किग में इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी की सहायता से देखते हैं, तो यह आईपीटीवी का कमाल है। वर्ष 1994 में एबीसी का व‌र्ल्ड न्यूज नाउ पहला टेलीविजन शो था, जिसे इंटरनेट पर प्रसारित किया गया था। 1995 में इंटरनेट के लिए एक वीडियो प्रोडक्ट तैयार किया गया, जिसका नाम आईपीटीवी रखा गया था। लेकिन सबसे पहले यूके में टेलीविजन के कार्यक्रम इंटरनेट ब्रॉडबैंड की सहायता से प्रसारित किए गए और इस फॉर्मेट को भी आईपीटीवी नाम दिया गया।

आईपीटीवी और इंटरनेट टीवी एकसमान नहीं है। इंटरनेट प्रोटोकॉल टीवी का यह मतलब नहीं है कि आप किसी भी वेबसाइट पर जाएं और अपने फेवरिट वेबपेज को क्लिक करते ही टेलीविजन के कार्यक्रम आपके सामने हों। नेटवर्किग माध्यम है, जिसमें इंटरनेट बॉडबैंड की सहायता से टेलीविजन प्रोग्राम आपके टीवी या पीसी तक पहुंच सकता है। यह टेलीकॉम प्रोवाइडर्स कंपनियों (एमटीएनएल, एयरटेल आदि) द्वारा प्रदान की जा रही सेवा की बदौलत संभव हो पाता है, जिसे डिजिटल केबल या सेटेलाइट सर्विसेज के स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है। सच तो यह है कि आईपी का लुत्फ आप सेट टॉप बॉक्स की सहायता से उठा सकते हैं। वहीं, इंटरनेट टीवी (आईटीवी) में किसी भी साइट पर रिकॉर्डेड प्रोग्राम देखे जाते हैं। आईपी

आईपीटीवी टेलीविजन सिग्नल को कम्प्यूटर डेटा में बदल देता है। आईपीटीवी के तीन भाग होते हैं :

1. टीवी ऐंड कन्टेंट हेड एन्ड : यहां टीवी चैनल्स के प्रोग्राम रिसीव और इनकोड किए जाते हैं। इसके अलावा, वीडियो प्रोग्राम भी स्टोर किया जाता है।

2. डिलीवरी नेटवर्क : इसमें टेलीकॉम ऑपरेटर्स आते हैं, जिनके द्वारा ब्रॉडबैंड और लैंडलाइन नेटवर्क प्रोवाइड कराया जाता है।

3. सेट-टॉप बॉक्स : यह बॉक्स ऑपरेटर के ब्रॉडबैंड मोडेम को आपके टीवी से जोडता है।

जब आप अपने टीवी को आईपीटीवी ब्रॉडबैंड कनेक्शन से जोडते हैं, तो आपको वीडियो ऑन डिमांड (वीओडी)इंटरनेट सर्विस (वेब एक्सेस, वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल-वीओआईपी, इंटरनेट टीवी) की सुविधा भी मिल सकती है। साथ ही साथ, ट्रेडिशनल सर्विसेज की अपेक्षा इसकी डिजिटल वीडियो और ऑडियो की क्वालिटी बेहद अच्छी होती है। इसकी सबसे बडी खासियत है, इसका इंटरैक्टिव होना। मैच के दौरान आप अपने मनपसंद प्लेयर की हिस्ट्री जानना चाहते हैं, तो इसमें यह ऑप्शन मौजूद होता है, जिसकी सहायता से संबंधित खिलाडी का पिछला रिकॉर्ड पलक झपकते ही आपके सामने होगा। यदि अपने पसंदीदा प्रोग्राम के प्रसारण के समय पढाई कर रहे हैं, बाद में आप टीवी पर उसकी रिकॉर्डिग भी देख सकते हैं। इसके अलावा, वीओडी की सहायता से ऑनलाइन मूवी कैटलॉग से मजेदार मूवी चुन कर देख सकते हैं। यह अन्य नेटवर्किग सर्विस की अपेक्षा सस्ता भी है।

Thursday, June 26, 2008

ई-कचरे पर संयुक्त राष्ट्र की बैठक शुरू

मोबाइल और कंप्यूटर के बढ़ते चलन से दुनिया में इलेक्ट्रानिक कचरे [ई-कचरे] का ढेर लग रहा है। बढ़ता ई-कचरा पर्यावरण के लिए भी गंभीर चुनौती बन गया है। इस्तेमाल के बाद खराब हो चुके मोबाइल फोन और कंप्यूटर उपकरणों से दिनोंदिन यह ई-कचरा बढ़ता ही जा रहा है। इसी ई-कचरे से चिंतित संयुक्त राष्ट्र ने इसके सुरक्षित निस्तारण संबंधी दिशा-निर्देशों पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई है। इंडोनेशिया के बाली में रविवार (22nd June, 2008) को कचरा प्रबंधन पर शुरू हुई इस बैठक में मोबाइल फोन, कंप्यूटर उपकरण और बेकार हो चुके जलपोत चर्चा का मुख्य विषय होंगे। पांच दिन तक चलने वाली इस बैठक में ई-कचरे के मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के अनुकूल निस्तारण के नए दिशा-निर्देश तय करने की कोशिश की जाएगी।

इंटरनेट एड्रेस नियमों में बदलाव की संभावना

इंटरनेट पर निगरानी रखने वाली मुख्य एजेंसी इसके नेटवर्क की एड्रेस प्रणाली में व्यापक बदलाव करने पर विचार कर रही है। एड्रेस प्रणाली 25 साल पहले बनी थी।

नए डोमेन नामों में सुधार पर द इंटरनेट कार्पोरेशन फार एसाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स [आईसीएएनएन] द्वारा आज (26th June, 2008) विचार किया जाएगा। नए दिशा निर्देशों के बाद हजारों इंटरनेट एड्रेस डाट काम और डाट एलएटी से जुड़ जाएंगे। डोमेन नाम की मदद से कंप्यूटर को वेबसाइट और ई मेल तक पहुंचने का रास्ता मिलता है। आईसीएएनएन एक और प्रस्ताव पर विचार कर रहा है जिसके अंतर्गत पहली बार गैर अंग्रेजी अक्षरों या चिन्हों के प्रयोग को अनुमति मिल सकती है। कुछ देश स्थानीय भाषा में अपने नाम के दो अक्षरों का कोड चाहते हैं। इस तरह के नामों की मांग तेजी से बढ़ रही है क्योंकि अंग्रेजी नहीं बोल सकने या अंग्रेजी टाइप नहीं कर सकने वाले इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। विदेशी भाषाओं में इंटरनेट एड्रेस आज संभव हो सकता है पर सफिक्स ए से जेड तक के 37 अक्षरों 0 से 9 तक के अंकों और एक हायफन तक ही सीमित है। विचाराधीन नए दिशा निर्देशों के कारण कंपनियों और अन्य समूहों के लिए नए सफिक्स प्रस्तावित करना आसान हो जाएगा। इसके लिए आईसीएएनएन ने वर्ष 2000 और 2004 में बोली स्वीकारी थी पर उस पर विचार करने में बहुत अधिक समय लगा। डाक सेवाओं के लिए डाट पोस्ट पिछले चार से अधिक वर्षो से लंबित है।