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Tuesday, September 16, 2008

देहलावास : देश का दूसरा बायोगैस बिजली उत्पादन संयंत्र

प्रतापनगर स्थित देहलावास सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की पहली इकाई से प्रतिदिन 8800 यूनिट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। यह देश का दूसरा बायोगैस बिजली उत्पादन संयंत्र होगा। इस बिजली से प्लांट संचालित किया जाएगा, जिससे लगभग 13 लाख रुपये प्रतिमाह बिजली खर्च से निगम को निजात मिल सकेगी।

जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के अंतर्गत 62. 5 एमएलडी इकाई से बिजली उत्पादन संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इस कार्य पर 7.50 करोड़ खर्च किए जाएंगे। यह देश का दूसरा बायोगैस बिजली उत्पादन संयंत्र होगा। इस क्षमता का पहला बिजली उत्पादन संयंत्र सूरत में स्थापित किया गया है। इसका निर्माण दिसंबर 2008 में पूरा कर लिया जाएगा। इस प्लांट से प्रतिदिन 8800 यूनिट बिजली उत्पादित की जा सकेगी। इस बिजली से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को संचालित किया जाएगा, जिससे निगम को प्रतिमाह होने वाले 13 लाख रुपए के बिजली बिल से निजात मिल सकेगी। इस प्रकार सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की द्वितीय इकाई का निर्माण पर जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के अन्तर्गत 28 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

देहलावास में संचािलत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की पहली इकाई से रोज 625 लाख मिलियन लीटर सीवेज पानी को ट्रीट कर रामचन्द्रपुरा डेम में पहुंचाया जा रहा है जिससे सैकड़ों बीघा में खेती की जा रही है। इस प्लांट को आर.यू.डी.पी.आई. को सुपुर्द किया था। यह प्लांट पांच वर्ष के अनुबंध पर निजी कंपनी की ओर से संचालित किया जा रहा है।

Friday, July 25, 2008

37 हजार से अधिक गांवों को इसी वर्ष बिजली

राज्य के 37 हजार 391 गांवों को विद्युतीकृत करने का काम इस वित्त वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। यह निर्णय तीनों विद्युत वितरण निगमों के नवगठित कोर्डिनेशन फोरम की बैठक में किया गया है। बैठक की अध्यक्षता वितरण निगमों के अध्यक्ष आरजी गुप्ता ने की जिसमें अजमेर के प्रबंध निदेशक पीएस जाट के अलावा सभी जोनल चीफ इंजीनियर व अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत ग्यारहवीं योजना में राजस्थान में 14 नई योजनाएं प्रारंभ की गई है। इससे पहले भी 25 योजनाओं पर काम चल रहा है। सभी 39 योजनाओं में 3787 गांवों में बिजली पहुंचाई जानी है, वहीं 33 हजार 604 गांवों में विद्युतीकरण के अधूरे काम को पूरा किया जाना है। इस काम को पूरा करने पर 1081 करोड़ 37 लाख रुपये खर्च होंगे। गांवों के अतिरिक्त इस कार्यक्रम के तहत 6518 ढाणियों में भी घरेलू बिजली पहुंचाने का काम हाथ में लिया गया है। प्रदेश के 33 हजार से अधिक गांवों में बिजली तो पहुंच चुकी है लेकिन नए मानदंडों के अनुसार इनमें दस प्रतिशत से कम घरों में ही कनेक्शन दिए जा सके है। अब वितरण निगम नए मानदंडों के अनुसार कम से कम दस प्रतिशत घरों को प्रकाश पहुंचाने के लिए आवश्यक वितरण पत्र बिछाकर कनेक्शन देने में लग गए है, जिससे ये गांव भी विद्युतीकरण की नई श्रेणी में आ जाएं। इस योजना के तहत जून, 2008 के अंत तक 1631 नए और 9 हजार 626 पुराने गांवों को विद्युतीकृत कर दिया गया है।

राज्य के दो वैज्ञानिक दुबई जाएंगे

यूनाईटेड अरब अमीरात (दुबई) सरकार के आग्रह पर उष्ट्र अनुसंधान संस्थान (एनआरसीसी) के निदेशक डॉ. केएमएल पाठक, संस्थान के एक अन्य वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र शर्मा के साथ 22 जुलाई 2008 को दुबई रवाना होंगे। वहां वे 31 जुलाई तक रहेगे और ऊंटों से संगबंधित बीमारी का पता लगाएंगे।

डॉ. पाठक ने बताया कि पिछले काफी समय से दुबई में बड़ी तादाद में ऊंटों के मरने की सूचना उन्हे ई-मेल से दी गई है और यह भी बताया गया कि ऊंट किसी बीमारी से पीड़ित है। डॉ. पाठक ने वहां के वैज्ञानिकों से गहन विचार-विमर्श कर तात्कालिक तौर पर उन्हे बीमारी का निदान बताया। इससे कुछ हद तक दुबई में ऊंटों के मरने की रफ्तार पर रोक लगी। इस बीमारी से ऊंटों के कारगर इलाज के लिए इन्हे वहां आमंत्रित किया गया है।

भारत सरकार के कृषि मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की अनुमति के बाद वे 22 जुलाई को दुबई जा रहे है। वहां वे मरे हुए ऊंटों का पोस्टमार्टम करेगे और उपचार की विधि पर सलाह देंगे। इनके आने-जाने का सारा खर्चा यूनाईटेड अरब अमीरात (दुबई) वहन करेगा।

खाला निर्माण , 850 करोड़ की योजना केंद्र को भेजी

राज्य सरकार ने बुधवार को केंद्र को गंगनहर परियोजना और भाखरा केनाल प्रोजेक्ट के कमांड क्षेत्र में खाला (वाटर कोर्स) निर्माण की स्वीकृति के लिए योजना रिपोर्ट भेज दी। वाटर कोर्स बनने के बाद दोनों परियोजनाओं के सिंचाई क्षेत्र में करीब 17 प्रतिशत बढ़ोतरी हो जाएगी। रिपोर्ट में भाखरा नांगल और गंगनहर परियोजना क्षेत्र में खाला निर्माण पर 850 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान व्यक्त किया गया है। यह रिपोर्ट राज्य के सिंचित क्षेत्र विकास विभाग ने केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय को भेजी है।
इसमें गंगनहर परियोजना में करीब 70 हजार हेक्टेयर और भाखरा केनाल प्रोजेक्ट में लगभग 1 लाख 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खाला निर्माण करना बताया गया है। गंगनहर परियोजना में खाला निर्माण की लागत करीब 67 करोड़ व भाखरा केनाल प्रोजेक्ट में 783 करोड़ लागत आने की संभावना है। दोनों परियोजना क्षेत्रों में अभी करीब 62 प्रतिशत क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। खाला निर्माण के बाद यह क्षेत्र बढ़कर 79 प्रतिशत हो जाएगा। इस प्रकार किसानों को करीब 17 प्रतिशत इलाके में अतिरिक्त सिंचाई का लाभ मिल सकेगा। खाला निर्माण के बाद परियोजना से सिंचाई के उपयोग में लिए जा रहे पानी की बचत होगी तथा कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा। वर्तमान में सिंचाई के समय काफी पानी व्यर्थ बह जाता है, लेकिन खाला निर्माण से इसका सदुपयोग हो सकेगा। व्यर्थ बहने वाला पानी सिंचाई क्षेत्र में बढ़ोतरी होने पर अतिरिक्त उत्पादन देने वाला साबित होगा।

Jagran

राजस्थान राज्य के दो जिले तंबाकू मुक्त होंगे

केंद्र सरकार ने राज्य के झुंझुनूं और जयपुर जिलों को तंबाकू मुक्त करने के लिए चुना है। केंद्र की मंशा है कि इन तंबाकू जनित उत्पादों के विरुद्ध लोगों में जनजागृति पैदा की जाए। आवश्यकता पड़ने पर कानून भी बनाया जाएगा। इस योजना पर विचार के लिए 40 स्वयंसेवी संगठनों की एक राज्य स्तरीय कार्यशाला राज्य स्वास्थ्य परिवार कल्याण संस्थान में आयोजित की गई। आयोजन से जुड़े डॉ.राकेश गुप्ता ने बताया कि कार्यशाला में तम्बाकू निषेध कानून की बेहतर ढंग से पालना पर बल दिया गया। कार्यशाला में राजस्थान कैंसर फाउंडेशन, इंडियन अस्थमा केयर सोसायटी,अखिल विश्व गायत्री परिवार सहित दिल्ली के दो एनजीओ भी शामिल थे।

Wednesday, July 16, 2008

लद्दाख में काजरी का अनुसंधान केंद्र

केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान अब ठंडे रेगिस्तान में भी अनुसंधान करेगा। इसके लिए काजरी जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में अपना पांचवां केंद्र स्थापित करेगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् की हाल ही में हुई प्रादेशिक समिति की बैठक में काजरी को ठंडे रेगिस्तान में भी कार्य करने के निर्देश दिए गए। अभी तक काजरी ने अपनी स्थापना के पचास सालों में गर्म रेगिस्तान के संसाधनों पर कार्य किया है। जोधपुर के अलावा बीकानेर, जैसलमेर, पाली और गुजरात के भुज जिले में काजरी के केंद्र है। लद्दाख क्षेत्र विश्व के सबसे ऊंचे स्थानों में गिना जाता है। वहां तापमान शून्य से भी कम रहता है, इसलिए यह ठंडा रेगिस्तान है। राजस्थान की तरह यहां भी वार्षिक वर्षा का औसत 60 मिलीमीटर से कम है। लद्दाख की घाटियों में भी रेतीले धोरे है और वहां भी मीलों दूर तक वनस्पति का नामों निशान नहीं है। मरुस्थलीकरण पर कार्य करने वाले काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अमलकार के अनुसार लद्दाख में काजरी मुख्यत: स्थानीय लोगों के जीवन स्तर सुधारने पर ध्यान केंद्रित करेगी। लोगों की आजीविका के साधनों में सुधार किया जाएगा। इसके अलावा वनस्पति और पशु संसाधनों पर भी अनुसंधान होगा।

Monday, July 7, 2008

जिप्सम बोर्ड प्लांट

उद्योग मंत्री डॉ. दिगम्बर सिंह ने बृहस्पतिवार 3rd July, 2008 को खुशहेड़ा (अलवर) में लाफार्ज एवं आस्ट्रेलियन कंस्ट्रक्शन समूह बोराज के जिप्सम बोर्ड प्लांट का उदघाटन किया। इस पर सौ करोड़ से अधिक का निवेश हुआ है। इस अवसर पर लाफार्ज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ओलिविर ने कहा कि यह प्लांट जिप्सम की माइनिंग को विकसित करने में सहायक है। विनिर्माण उद्योग में इसने शत-प्रतिशत पुनर्चक्रीय ग्रीन प्रोडेक्ट विकल्प की पेशकश भी की है। इस प्लांट से प्रशिक्षित रोजगार कर्मियों के लिए भी नए मार्ग प्रशस्त हुए है। प्लांट पर तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र को भी इस ढंग से विकसित किया गया है ताकि मूल रूप से मजदूरों में स्किल बढ़ाकर कम आय वर्ग को ज्यादा राहत मिल सके।

Tuesday, July 1, 2008

पूर्वी राजस्थान में तेल व गैस की तलाश

पश्चिमी राजस्थान में कच्चे तेल की खोज करने के बाद केयर्न इंडिया लिमिटेड व ओएनजीसी ने अब संयुक्त रूप से हाड़ौती समेत पूर्वी राजस्थान में भी तेल व प्राकृतिक गैस की तलाश शुरू कर दी है। कंपनी के अधिकारी इन दिनों कोटा, झालावाड़ व बारां के विभिन्न इलाकों में भूमि के द्विआयामी कंपन के आंकड़े जुटाने में लगे है।

हाड़ौती सहित पूर्वी राजस्थान के 3 हजार 585 वर्ग किलोमीटर लंबे अपतटीय भू क्षेत्र को विंध्य ब्लॉक कोड नाम दिया गया है। केयर्न इंडिया के सूत्रों ने बताया कि सतह की भू-संरचना को जानने के लिए कम गहराई पर परीक्षण खुदाई का कार्य प्रारम्भ कर दिया है। भूमि लघु व मध्यम तीव्रता पर एक गहरा छेद किया जा रहा है। उसमें तकनीकी यंत्र के माध्यम से ध्वनि उत्पन्न कर भूमि की परतों से गुजरने वाली तरंगों को रिकार्ड किया जा रहा है। इसके लिए लघु व तीव्रता वाली कंपन तकनीक काम में ली जा रही है। इस कंपन सर्वेक्षण के जरिए विंध्य ब्लॉक की आंतरिक भू-संरचनाओं को समझने में भू-वैज्ञानिकों को मदद मिलेगी।

एक सप्ताह बाद विभिन्न सर्वेक्षण गतिविधियां शुरू होंगी। इसके लिए ही द्विआयामी कंपन के आंकड़े रिकार्ड करने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। प्रथम चरण का मुख्य कार्य दो माह बाद अगस्त से अक्टूबर के बीच होगा, जो तीन माह तक चलेगा। खोज के प्रथम चरण को पूरा करने के लिए लगभग तीन वर्ष का लक्ष्य तय किया गया है।

जोधपुर में एड्स उपचार प्रशिक्षण केंद्र खुलेगा

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) जोधपुर में राष्ट्रीय एड्स उपचार प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना करेगा। देश में इस तरह का यह 11वां व राजस्थान का पहला प्रशिक्षण केंद्र होगा। नाको ने मथुरादास माथुर अस्पताल में राजस्थान स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी (आरसीएक्स) की देखरेख में चल रहे एंटीरेट्रोवायरल थैरेपी सेंटर (एआरटी) में उपलब्ध सुविधाओं के मद्देनजर इसे प्रशिक्षण केंद्र के लिए चयनित किया है। इसमें एड्स पीड़ितों के उपचार में लगे चिकित्सकों,नर्सो व काउंसलरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

Thursday, June 26, 2008

Flora and Fauna of Rajasthan

While one part of Rajasthan is dominated by the Thar Desert the other part flaunts the lofty peaks of the Aravallis and Vindhya ranges. The forests in Rajasthan mostly lie to the east of the Aravalli range. They comprise of about 9% of the total area. The vegetation in the desert region marjorly comprises of stunted trees, thorny shrubs and some grasses. The rest of the vegetation grows only during monsoon.

Khejri or Prosopis cineraria is the most widely found tree in the Rajasthan. It serves the purpose of both food and fodder. Its bean shaped fruit, sangri, is used for both this purpose. Another fruit, Ker, is also eaten as a vegetable. Its tree is used as wood as well. The other prominent trees that grow on sandy soil are akaro and shrubs, the thor, botdi babul, anwal, sewan, dhaman, boor and bhatut.

Some of these grasses help in soil conservation as they bind the soil and can also be utilized as fodder for the cattle. Other plants that are part of the flora of Rajasthan are bamboo, khejri, peepal, jamun, salar, ber and khajur or dates. The shrubs are more attention grabbing. They comprise of wild roses, ferns and orchids. Plants with medicinal values grow in the state of Rajasthan. shatawari, guggal, thor, BRAHMI etc.

The fauna of Rajasthan is blessed with various species. They range from mammals and reptiles to colorful birds. The common animals here are antelopes and gazelles that include Blackbuck and Chinkara. Nilgai is commonly found in open plains and in the foothills of the Aravallis. Chau Singha, another local, lives in the hilly regions. Besides these one may also come across sambar, chital, rhesus macauqe, langur, jackal, wolf, Indian porcupine, desert fox, Indian gerbil, five-striped palm squirrel, desert gerbil, wild boar and a host of other wild

While the tiger rules the land the crocodiles and ghariyals are the monarchs of the aquatic life. Other REPTILES include Indian python or ajgar, Indian chameleon and the garden lizard. Common mongoose and Indian mongoose are mostly found in dry arid zone.

From the world`s tallest black-necked stork to cranes, Indian bustard and grey partridge-Rajasthani bird sanctuaries are a treat to visit. Thus the flora and fauna of Rajasthan supports all kinds of animal species.

But the most important species adds a special dimension to the flora and fauns of Rajasthan is the cat family. The Indian tigers, leopards, panthers, jungle cat and caracal are found here. Amongst these some are endangered species and are kept in protection in National Park.


Rajasthan has four famous National Parks and Wildlife Sanctuaries namely, the Sariska Wildlife Sanctuary, Ranthambore National Park, Bharatpur Bird Sanctuary and Desert National Park. Ranthambore National Park and Sariska Wildlife Sanctuary are known worldwide for their tiger population and considered by both wild lovers and photographers as the best places in India to spot tigers. Besides, it houses several small wildlife sanctuaries and eco-tourism parks (special area marked as wildlife reserves). Prominent among them are Mount Abu Sanctuary, Bhensrod Garh Sanctuary, Darrah Sanctuary, Jaisamand Sanctuary, Kumbhalgarh Sanctuary, and Jawahar Sagar sanctuary to name a few with.

These national parks and sanctuaries are home to a variety of wildlife including some of the rare and endangered species. The wildlife here include Tigers, panthers, sambar, bison, Black bucks, Chinkara, the rare desert fox, antelopes, deer, wild boars, monitor lizards, the endangered caracal and the list goes on. Besides, they shelter a variety of exotic and colorful birds including migratory birds including rare Siberian cranes who flock to this region during winters. The Great Indian Bustard, a rare and nearly extinct bird, can be spotted in the rolling sand dunes and scrub and thorny vegetations around the highlands of the Desert National Park near Jaisalmer.

Threatened Plants of Rajasthan

Family/ Scientific Name RDB Status

Distribution sites & Average altitude


ACANTHACEAE

Dicliptera abuensis Endangered

Dhobi Ghats & Adjoining hilly areas of Mount Abu.

Strobilanthes halbergii Endangered

Mount Abu.

ASCLEPIADACEAE

Ceropegia odorata Endangered

Endemic to Western India, Mount Abu.

BORAGINACEAE

Heliotropium calcareum Rare

Jodhpur.

COMBRETACEAE

Anogeissus sericea Rare

Ajmer, Pati, Udaipur. Endemic to North Western India.

Camel milk

Camel milk has been reported to have a higher antimicrobial activity compared to bovine milk. This is partially due to higher concentration of lactoferrin in its milk (220 mg/l) compared to bovine milk (110 mg/L). In clinical trials, 30-35 percent reduction in doses of daily insulin in patients of type 1 diabetes receiving camel milk was reported. The camel milk is different from other ruminant milk; having low cholesterol, low glucose, high mineral (sodium, potassium, iron, copper, zinc and magnesium), high vitamin C and large concentrations of insulin. The value of camel milk is to be found in the high concentrations of volatile acids especially, linoleic acid and polyunsaturated acids, which are essential for human nutrition. The effect of camel milk as raw and pasteurized has been reported on the oral hypoglycemic activity of camel milk in streptozotocin induced diabetic rats. Such an investigation would help to establish a more rational use of camel milk to control blood glucose level.

Camel milk may have important implication for the clinical management of diabetes mellitus in humans. The food industry could design and construct functional foods with probiotics. These food products could be positioned between conventional foods and medicines, with their use targeting semi-healthy state of the body as a preventive measure against disease. This concept is consistent with the historic belief that natural substances play an important role in preventative and therapeutic treatment for Diabetes.

The United Nations is calling for the milk, which is rich in vitamins B and C and has 10 times more iron than cow's milk, to be sold to the West. Camels' milk, which is slightly saltier than traditional milk, is drunk widely across the Arab world and is well suited to cheese production. As well as its high mineral and vitamin content, research has suggested that antibodies in camels' milk can help fight diseases like cancer, HIV/Aids Alzheimer's and hepatitis C. And work is on-going to see whether it can have a role in reducing the effects of diabetes and heart disease. The UN's food arm, the Food and Agriculture Organisation (FAO), wants producers in countries from Mauritania to Kazakhstan to start selling camels' milk to the West. However, it is more expensive than cows' milk and does have quite an acquired taste that some people may not like.

Sunday, June 1, 2008

प्रशासनिक न्यायाधीश पद की जिम्मेदारी न्यायाधीश श्रीमती ज्ञानसुधा मिश्रा

राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नारायण राय ने प्रशासनिक न्यायाधीश पद की जिम्मेदारी न्यायाधीश श्रीमती ज्ञानसुधा मिश्रा को सौंपी है। न्यायाधीश आरएम लोढा के पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बन जाने से राजस्थान उच्च न्यायालय में प्रशासनिक न्यायाधीश का पद रिक्त हो गया था।

जयपुर का पहला टूरिस्ट होटल बंद होगा

राजधानी का पहला होटल 'टूरिस्ट होटल' एक जुलाई 2008 से बंद हो जाएगा। इमारत में अब राजस्थान पर्यटन विकास निगम का मुख्यालय स्थानांतरित होगा व वर्तमान निगम मुख्यालय भवन को होटल में तब्दील किया जाएगा, इस निगम मुख्यालय को पास ही स्थित स्वागतम् होटल में शामिल करने में

टूरिस्ट होटल को निगम मुख्यालय व मुख्यालय भवन को होटल में तब्दील करने के निर्णय से आरटीडीसी पर करोड़ों का भार पड़ेगा। होटल में तब्दील करने से पहले कमरों में काफी फेरबदल करना पड़ेगा।

कोटा जिले में विद्युतीकरण

कोटा जिले में विद्युतीकरण कार्यो के तहत 13 हजार 942 बीपीएल परिवारों को अप्रैल, 2008 तक बिजली के कनेक्शन जारी किए गए एवं 36 गांवों एवं 27 ढाणियों को विद्युतीकृत किया गया। इन विद्युत सुधार कार्यो पर 16 करोड़ 71 लाख रुपये व्यय किए गए। जयपुर विद्युत वितरण निगम के अधिशासी अभियंता सीपी विजय ने बताया कि राजीव गांधी विद्युतीकरण योजन के तहत जिले की पंचायत समिति लाडपुरा में 1607, सांगोद में 4003, सुल्तानपुर में 2049, इटावा में 3273 एवं खैराबाद में 3010 बीपीएल परिवारों को विद्युत कनेक्शन जारी कर दिए गए है।
जिले के 810 आबाद गांवों में से 766 पूर्व में विद्युतीकृत है जबकि शेष 44 गांवों को राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में विद्युतीकृत करने का कार्य किया जाना शामिल किया गया है। इस योजना में अब तक 36 गांवों को विद्युतीकृत कर दिया गया है। पंचायत समिति लाडपुरा में 2 गांव, सांगोद में एक गांव,सुल्तानपुर में 15 गांव एवं इटावा में 18 गांव विद्युतीकृत किए गए है।