स्वदेशी अर्जुन टैंक के परीक्षण भले चालू हों, पर भारतीय थल सेना का भविष्य का टैंक टी-90 ही होगा। 347 नए टी-90 खरीदने का फैसला तो हो ही चुका था। अब प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के तहत 1000 टी-90 टैंक भारत में ही बनाने का भी अंतिम फैसला कर लिया गया है। जानकारी के मुताबिक टी-90 टैंकों के धातु ज्ञान समेत पूर्ण तौर पर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर रूस के राजी होने के बाद ही भारत ने यह फैसला किया। जाहिर है, अब सन 2020 तक सेना की आर्मर्ड कोर में टी-90 टैंक ही दनदनाएंगे। थल सेना के महानिदेशक, आर्मर्ड कोर पहले ही कह चुके हैं कि अब रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन को अर्जुन टैंक परियोजना को यहीं समाप्त कर सेना की भविष्य की जरूरतों के मुताबिक नया टैंक बनाने में जुट जाना चाहिए।मालूम हो कि रूस से 310 टी-90 टैंक खरीदेबनाए आए थे, जबकि बाकी 186 अलग-अलग हिस्सों में। साल भर पहले 347 और टी-90 टैंक खरीदने को लेकर सहमति बनी थी, जिसकी पुष्टि आज रक्षा मंत्री एंटनी ने भी कर दी। लेकिन अब 1000 और टी-90 टैंक भारत में ही बनाए जाने से साफ है कि रक्षा मंत्रालय और थल सेना ने इस टैंक के साथ ही आगे बढ़ने का पूरा मन बना लिया है। गए थे। इनमें से 124 बने-
अर्जुन टैंक अपने अधिक भार के चलते तो कमजोर पड़ ही रहा था, टी-90 टैंक के साथ इसके तुलनात्मक परीक्षणों में भी कुछ न कुछ खामी सामने आ रही थी। हालांकि इन्हें लगातार दूर भी किया जाता रहा, लेकिन थल सेना खुश नहीं थी। उधर, टी-72 टैंकों को नाइट फाइटिंग क्षमताओं व मिसाइल लांच क्षमता से लैस करते हुए उन्नत बनाए जाने के बावजूद समस्याएं आ रही हैं। इसकी लो-रेडीनेस भी एक सिरदर्दी बनी हुई है। खास कर पाकिस्तान के टी-80 अल खालिद टैंकों से मुकाबले के लिए टी-90 टैंकों को ही आर्मर्ड कोर का मुख्य हथियार बनाना जरूरी हो रहा था।
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