- Large Hadron Collider will have first attempt at circulating a beam September 10, 2008
- It's the largest particle accelerator in the world and costs about $9 billion
- Lawsuits allege it could generate black holes that could eat the Earth
- Scientists say these allegations have no merit
चौदह साल के लंबे इंतजार के बाद पृथ्वी की अनेक गुत्थियां सुलझने को हैं और अब तक के सबसे विशाल परीक्षण के जरिए ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्य का पता लगाने की कोशिश करेंगे। ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक महाविस्फोट से हुई थी और वैज्ञानिक 27 किलोमीटर लंबी इस मशीन से विस्फोट कर एक बार फिर वैसी ही परिस्थितियां पैदा करेंगे, ताकि दुनिया के निर्माण के रहस्य का पता लगाया जा सके।
इस प्रयोग के विरोधी वैज्ञानिकों का कहना है कि इस परीक्षण से धरती एक ब्लैक होल में समा सकती है, वहीं प्रयोग करने वाले वैज्ञानिक ऐसी आशंकाओं को निराधार बता रहे हैं। एलएचसी से धरती के नष्ट होने का कोई खतरा नहीं है, क्योंकि यदि ऐसा कोई खतरा होता तो वैज्ञानिक यह प्रयोग करने का जोखिम नहीं उठाते।
ब्रह्मांड की उम्र लगभग 14 अरब वर्ष और धरती की उत्पत्ति की उम्र करीब साढ़े चार अरब वर्ष मानी जाती है। तब से लेकर अब तक ब्रह्मांड में न जाने कितनी टक्कर हुई हैं। लेकिन धरती के अस्तित्व पर कभी कोई संकट नहीं आया। ब्रह्मांड में उच्च ऊर्जा वाले प्रोटोन आपस में टकराते हैं, जबकि इस प्रयोग के दौरान अत्यंत कम ऊर्जा वाले प्रोटोनों की टक्कर कराई जाएगी। इसलिए धरती को कोई खतरा नहीं है। प्रयोग का उद्देश्य यही पता लगाना है कि पदार्थ कहां से आया और कैसे बना।
प्रयोग को अंजाम देने वाला यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन इससे धरती को कोई खतरा नहीं मानता, जबकि दूसरी ओर विश्व के कई वैज्ञानिक एलएचसी से धरती के नष्ट हो जाने के खतरे की आशंका भी जता रहे हैं। ब्रिटिश अखबार डेली मेल ने ऐसे कई वैज्ञानिकों के हवाले से कहा है कि इससे धरती को खतरा है और सबसे पहले तबाही हिन्द महासागर से शुरू होगी। उनका कहना है कि धरती की तबाही में 10 सितंबर से लेकर चार साल तक का वक्त लग सकता है। एलएचसी भौतिकी का सबसे बड़ा प्रयोग है जिस पर अब तक 384 अरब डालर की राशि खर्च हो चुकी है। इस मशीन का बटन जर्मन वैज्ञानिक डाक्टर ईवान्स के हाथों में है।
प्रयोग में लगे वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अनुसंधान सेकेंड के अरबवें हिस्से में होगा, इसलिए यदि कोई ब्लैक होल बना भी तो वह एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने में ही खत्म हो जाएगा।
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