Tuesday, September 30, 2008

पिचौरा मिसाइलें

देश को हवाई सुरक्षा कवच देने के लिए तैनात की गई साढे तीन दशक पुरानी रूसी पिचौरा मिसाईलें अपनी आयु समाप्त होने के कगार पर खड़ी हैं । सतह से हवा में मार करने वाली इन पिचौरा मिसाइलों के विस्फोटकों की मियाद खत्म हो चली है और उन्हें बिना वजह दागते जाना वायु सेना की मजबूरी हो गई है।

इसी साल देश के विभिन्न एयरबेस पर तैनात 72 पिचौरा मिसाइलों को समुद्र में दाग दिया गया। सुत्रों के अनुसार 15 जनवरी से 15 फरवरी के बीच इन मिसाइलों को पहले ग्वालियर ले जाया गया और वहां से आंध्र प्रदेश में गुंटूर के पास समुद्र किनारे बापतला ले जाकर समुद्र में छोड़ा गया। इनमें भी दर्जन भर मिसाइलें ऐसी निकलीं जिनके विस्फोटकों की मियाद खत्म हो चुकी थी और उन्हें दागा नहीं जा सका। अब ऐसे मिसाइलों के बूस्टरों और सस्टेनरों को निकालकर पंजाब में वायु सेना के हलवारा एयरबेस पर ले जाया जाएगा जहां उनके विस्फोटकों को निष्क्रिय किया जाएगा। पुरानी टैक्नोलाजी वाली ये मिसाइलें मुगलों के जमाने की तोपों जैसी नजर आती हैं जिनकी भूमिका अब सजावटी ज्यादा रह गई है।

पिचौरा मिसाइलें देश के संवेदनशील स्थानों पर तैनात हैं। इनमें आगरा और ग्वालियर के अलावा जम्मू कश्मीर में श्रीनगर और अवंतिपुर, पंजाब में हलवारा, अमृतसर, चंडीगढ़, हरियाणा में रजोकरी और नरेला, राजस्थान में जोधपुर, जैसलमेर, गुजरात में जामनगर, भुज और नलिया तथा महाराष्ट्र में पुणे और ठाणे के एयरबेस शामिल हैं। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अब वायु सेना की निगाहें इजरायली मिसाइल सिस्टमों पर लगी है। आने वाले समय में भारत इजरायल से बड़े पैमाने पर अरबों डालर की रक्षा खरीदारी करने वाला है और इनमें एयर डिफेंस मिसाइलें होड में हैं। लेकिन नई सुरक्षा प्रणाली आने तक देश के आकाश को सुरक्षा कवच देना वायु सेना के लिए वाकई एक बडी चुनौती भरा काम बन गया है।

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