Tuesday, July 15, 2008

प्रशासनिक सेवाओं में बनाइए करियर

भारत में विद्यमान सर्वोत्तम परिलब्धियां एवं विशेषाधिकार इन लोगों को मिलते हैं। इसके अलावा इससे सामाजिक शोहरत और सरकारी प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई है। निस्संदेह आज तक सिविल सेवाओं का आकर्षण बराबर बना हुआ है, जबकि बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में ग्लैमर तथा अधिक धन प्राप्ति के अवसर मौजूद हैं। लेकिन यह भी स्वीकार करना होगा कि इस पद के साथ अत्याधिक जिम्मेदारी जुड़ी हुई है, क्योंकि नौकरशाही में प्रशासनिक सेवाएं देश की सुचारु प्रणाली के लिए जिम्मेदार हैं।

परीक्षा का ढांचा

सिविल सेवा परीक्षा ‘संघ लोक सेवा आयोग’ द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है। राष्ट्रीय दैनिक समाचार-पत्रों में समय-समय पर इसकी घोषणा की जाती है।

इस परीक्षा में चयन के तीन स्तर हैं-

1. व्यक्ति की अपने विषयों में अनिवार्य समझ का पता लगाने के लिए प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की जाती है। इसमें प्रश्न वस्तुनिष्ठ होते हैं और उम्मीदवार को दो पर्चे देने होते हैं।

एक पर्चा ऐच्छिक विषय से संबंधित होता है। उम्मीदवार 23 विषयों की सूची में से अपनी पसंद का विषय चुनता है। दूसरा विषय सामान्य ज्ञान/अध्ययन का होता है। प्रत्येक पर्चे की अवधि दो घंटे होती है। ऐच्छिक पर्चा 300 अंकों का होता है, जबकि सामान्य ज्ञान/अध्ययन के 150 अंक होते हैं।

ऐच्छिक पर्चा डिग्री के समकक्ष होता है। सामान्य अध्ययन में इतिहास, राजनीति, समसामयिक समाचार, सामान्य विज्ञान तथा अर्थव्यवस्था का 10+2 के समकक्ष होता है। तीनों परीक्षाओं में प्रारंभिक परीक्षा सबसे ज्यादा कठिन है, क्योंकि इसी स्तर पर अधिकांश उम्मीदवारों के नाम रद्द कर दिए जाते हैं।

अत: यह सलाह दी जाती है कि प्राथमिक परीक्षा को सबसे ज्यादा गंभीरता से लिया जाए। एक बार यह बाधा दूर हो जाने पर व्यक्ति अगली परीक्षा की तैयारी शुरू कर सकता है।

2. मुख्य परीक्षा विषयनिष्ठ होती है।
उम्मीदवार के ज्ञान की थाह पाने के लिए यह परीक्षा ली जाती है। इस परीक्षा में नौ पर्चे होते हैं -

पहला पर्चा: भारतीय भाषा – 300 अंक,

दूसरा पर्चा: अंग्रेजी – 300 अंक,

तीसरा पर्चा: निबंध- 200 अंक

अवधि- तीन घंटे

चौथा और पांचवां पर्चा: सामान्य अध्ययन- 300 अंक प्रति विषय,

छठा एवं सातवां पर्चा: ऐच्छिक विषय- 300 अंक प्रति विषय,


आठवां एवं नौवां पर्चा: ऐच्छिक विषय- 300 अंक उम्मीदवार को पच्चीस विषयों में से अपनी रुचि के दो विषय चुनने होते हैं।


पर्चा-1 तथा 2 का स्तर मैट्रिक परीक्षा के समकक्ष होता है तथा यह अर्हक प्रकृति का होता है। इन पत्रों में प्राप्तांकों पर अंतिम रैकिंग में ध्यान नहीं दिया जाता है। लेकिन अन्य सात पत्रों का मूल्यांकन तभी किया जाएगा, जब वह पर्चा 1 और 2 में न्यूनतम स्तर प्राप्त कर लेगा। अत: मुख्य परीक्षा का प्रत्येक स्तर महत्वपूर्ण होता है।

3. इसके बाद साक्षात्कार आता है। साक्षात्कार में व्यक्तित्व एवं कौशल का पता लगाया जाता है। इसके 300 अंक होते हैं। यह साक्षात्कार सामान्य साक्षात्कार से भिन्न होता है। इस साक्षात्कार का लक्ष्य उम्मीदवार की अपेक्षाओं, बुद्धि कौशल एवं व्यक्तित्व की जानकारी लेना है। इसके बाद सिविल सेवाओं में उपयुक्त नौकरियों के साथ मिलान करने की कोशिश की जाती है। साक्षात्कार मंडल व्यक्ति की विशिष्टता और खूबी जानने की कोशिश करता है तथा नेतृत्व गुण एवं नौकरी के लिए अपेक्षित संतुलित निर्णय शक्ति जैसे गुणों का पता लगाया जाता है।

सिविल सेवा परीक्षा में सामान्य श्रेणी का उम्मीदवार चार बार बैठ सकता है। स्पष्ट है कि अधिकांश उम्मीदवारों के लिए पहला प्रयास अनुभव मात्र होता है। निस्संदेह सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी से व्यक्ति का ज्ञान बढ़ता है। सिविल सेवा की तैयारी का सबसे ज्यादा महत्व है। इसके प्रति एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।विषयों का चयन है

ये विषय उम्मीदवार की रुचि के अनुकूल हों। अधिकांश उम्मीदवार ऐच्छिक विषय के रूप में ऑनर्स विषय चुनते हैं; लेकिन ऑनर्स विषय से इतर विषय भी चुना जा सकता है। हमें मात्र यही ध्यान रखना होगा कि हम चाहे जो भी विषय चुनें, हमें उस विषय की भलीभांति जानकारी हो। इसके लिए आपको विभिन्न पुस्तकों तथा सूचना के अन्य स्रोतों के माध्यम से अपनी जानकारी बढ़ानी है।

सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से निम्नलिखित सेवाओं/पदों पर भर्ती की जाती है –

1. भारतीय विदेश सेवा (आई.एफ.एस.)
2. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई.ए.एस.)
3. भारतीय पुलिस सेवा (आई.पी.एस.)
4. भारतीय राजस्व सेवा, ग्रुप ‘ए’
5. भारतीय डाक सेवा, ग्रुप ‘ए’
6. भारतीय सीमा शुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद सेवा, ग्रुप ‘ए’
7. भारतीय रक्षा लेखा सेवा, ग्रुप ‘ए’
8. भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा, ग्रुप ‘ए’
9. भारतीय डाक एवं तार लेखा तथा वित्त सेवा, ग्रुप ‘ए’
10. भारतीय सिविल लेखा सेवा, ग्रुप ‘ए’
11. भारतीय आयुध फैक्टरी सेवा, ग्रुप ‘ए’
12. भारतीय रेलवे ट्रैफिक सेवा, ग्रुप ‘ए’
13. भरतीय रेलवे कर्मी सेवा, ग्रुप ‘ए’
14. भारतीय रक्षा संपदा सेवा, ग्रुप ‘ए’
15. भारतीय सूचना सेवा, ग्रुप ‘ए’
16. भारतीय व्यापार सेवा, ग्रुप ‘ए’
17. रेलवे संरक्षण का बल, ग्रुप ‘ए’
18. असिस्टेंट कमांडेंट का पद, ग्रुप ‘ए’ - केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल
19. पुलिस उपनिरीक्षक, ग्रुप ‘ए’, केंद्रीय जांच ब्यूरो
20. केंद्रीय सचिवालय सेवा, ग्रुप ‘बी’
21. रेलवे बोर्ड सचिवालयी सेवा, ग्रुप ‘बी’
22. सशस्त्र बल मुख्यालय, सिविल सर्विस, ग्रुप ‘बी’
23. भारतीय संघ-शासित क्षेत्र की सिविल सेवा, ग्रुप ‘बी’
24. पॉन्डीचेरी सिविल सेवा, ग्रुप ‘बी’

इसके अलावा, प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी करते समय मुख्य परीक्षा का भी ध्यान रखना पड़ता है। चुने गए आईएएस तथा आईपीएस अधिकारियों को निचले स्तर पर अर्थात जिला स्तर पर काम शुरू करना होता है। यह आईएएस तथा आईपीएस का विकास-काल होता है, जब वे वास्तविकताओं के संपर्क में आते हैं और जिम्मेदारी लेना शुरू करते हैं। इसके बाद ये लोग पद क्रम में निश्चित अवधि में पदोन्नति पाकर शीर्ष पर पहुंचते हैं। कुल मिलाकर सिविल सेवा की सर्वाधिक मांग है, क्योंकि इसके साथ प्रशासनिक शक्ति, सामाजिक हैसियत, प्रतिष्ठा व उत्तम धन लाभ जुड़ा है।

Josh (http://www.josh18.com/)
(कैरियर संबंधी और अधिक जानकारी के लिए देखिए ग्रंथ अकादमी नई दिल्ली से प्रकाशित ए. गांगुली और एस. भूषण की पुस्तक ‘अपना कैरियर स्वयं चुनें’।)
15 जुलाई 2008, इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

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