Monday, June 16, 2008

मोबाइल फोन के इस्तेमाल के ख़तरे

मोबाइल फोन के इस्तेमाल के खतरों को सरकार ने गंभीरता से लिया है (16th June, 2008)। सरकार ने मोबाइल फोन बनाने और सेवा देने वाली कंपनियों को चेताया है कि वे बच्चों और गर्भवती महिलाओं द्वारा मोबाइल के इस्तेमाल को बढ़ावा देने संबंधी प्रचार अभियान से बचें। यह पहल बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर मोबाइल के विकिरण से पड़ने वाले दुष्प्रभावों के मद्देनजर की गई है।

दूरसंचार मंत्रालय ने एक दिशानिर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि मोबाइल फोन से निकलने वाली विद्युत चुंबकीय तरंगें इस्तेमाल करने वालों के दिमाग के ऊतकों को भारी नुकसान पहुंचा सकती हैं। दिशानिर्देश में बच्चों, गर्भवती महिलाओं और दिल के मरीजों को मोबाइल का कम इस्तेमाल करने की सलाह भी दी गई है।

दिशानिर्देश में बताया गया है कि मोबाइल से निकलने वाली रेडियो तरंगें ऊतकों को गर्म कर देती हैं, जिसका स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। 16 साल से कम उम्र के बच्चों के दिमाग के तंतु अपेक्षाकृत नर्म होने के कारण ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए उन्हें खास तौर पर मोबाइल से दूर रहने की सलाह दी गई है। साथ ही, मोबाइल का प्रयोग कर रहे ऐसे लोग जो सुनने वाले यंत्र, पेसमेकर या दूसरी किसी चिकित्सा पद्धति का प्रयोग कर रहे हैं, उन पर भी विकिरणों का ज्यादा विपरीत असर पड़ने की बात कही गई है। अस्पतालों के गहन चिकित्सा कक्ष [आईसीयू] जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भी मोबाइल के प्रयोग की मनाही की की गई है।

मंत्रालय ने कंपनियों से वेबसाइट और मोबाइल सेट पर विशिष्ट अवशोषण दर [स्पेसिफिक एब्जो‌र्प्शन रेट-एसएआर] की जानकारी देने को भी कहा है। एसएआर से यह निर्धारित होता है कि मोबाइल का कितना प्रयोग खतरनाक हो सकता है।

गौरतलब है कि भारत में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2010 तक आंकड़ा 50 करोड़ पार कर जाने की उम्मीद है। अभी करीब 25 फीसदी आबादी मोबाइल फोन इस्तेमाल कर रही है। इनमें बच्चों की संख्या भी काफी है।

Jagran

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