Monday, June 23, 2008

आदिवासी समुदाय की खोज से जुड़ी झूठी कहानी

पिछले दिनों पेरू और ब्राजील की सीमा पर रेड इंडियन आदिवासी समुदाय की खोज से संबंधित दावा झूठा निकला। सुर्खियों में रहीं इस समुदाय की तस्वीरें तो असली थीं, लेकिन इस जनजाति की खोज से जुड़ी कहानी झूठी थी। पिछले महीने जोस कार्लोस मीयरलेस ने दावा किया था कि अमेजन के जंगलों में रहने वाला यह समुदाय पहली दफा दुनिया की नजर में आया है। इससे पहले बाहरी दुनिया का कोई भी व्यक्ति इनसे संपर्क नहीं साध सका था। तस्वीरों में लाल रंग से पुते चेहरे वाले आदिवासियों को हेलीकाप्टर पर तीर से निशाना लगाते दिखाया गया था।

द आब्जर्वर में छपी खबर के मुताबिक मीयरलेस ने स्वीकार किया है कि उनके संगठन को इस आदिवासी समुदाय की जानकारी पहले से थी। उन्होंने पूर्वनियोजित योजना के अनुसार इस समुदाय की तस्वीरें उतारीं थी। और, उस इलाके में जारी वनों की कटाई के कारण खतरे में पड़ी जनजातियों के संरक्षण अभियान में तेजी लाने के लिए ही उनकी तस्वीरें जारी कीं।

मीयरलेस फनाई नाम से मशहूर संगठन ब्राजीलियन इंडियन प्रोटेक्शन एजेंसी के अध्यक्ष हैं। मीयरलेस ने कहा, दरअसल, हमें हमारे मकसद के लिए दुनिया से अलग-थलग पड़े किसी समुदाय की तलाश थी। हमने इसके लिए रेड इंडियन को चुना। वास्तव में दुनिया एक सदी पहले ही इस समुदाय से वाकिफ हो चुकी थी। फनाई को भी इस रेड इंडियन समुदाय की जानकारी 20 साल पहले से थी। इस झूठ के लिए कई लोगों ने फनाई की आलोचना की है लेकिन, संगठन का कहना है कि उसके इस प्रयास से पेरू को वनों की कटाई संबंधी अपनी नीति की समीक्षा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। मीयरलेस का कहना है कि वह अपने झूठ के लिए माफी नहीं मांगेंगे और रेड इंडियन समुदाय के ठिकाने की जानकारी किसी को नहीं देंगे।

Jagaran



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