थल सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने सोमवार Jun 16, 04:32 pm को एकीकृत अंतरिक्ष कमान के गठन की जबरदस्त पैरवी करते हुए कहा कि देश को ऐसी क्षमता जल्द हासिल करनी चाहिए जिससे अंतरिक्ष में परिसंपत्तिायों पर हमले की स्थिति में तुरंत कार्रवाई संभव हो सके। भारत को व्यावहारिक सोच अपनाने की जरूरत है। चीन बहुत तेजी से अंतरिक्ष में अपनी सैन्य व असैन्य क्षमता बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष का सैन्य इस्तेमाल रोकने के लिए तमाम अंतरराष्ट्रीय समझौते हैं लेकिन हकीकत यह है कि इसके बावजूद अंतरिक्ष का सैन्य इस्तेमाल बढ़ रहा है। जनरल कपूर ने यह बात सैन्य अफसरों को अंतरिक्ष के सैन्य इस्तेमाल संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम व सेमिनार के उद्घाटन के वक्त कही। इसका आयोजन थलसेना मुख्यालय व सेंटर फार लैंड वारफेयर स्टडीज ने किया था।
मालूम हो कि चीन ने पिछले साल, जनवरी 2007 में सेटेलाइट को मार गिराने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। पड़ोसी व विरोधी देश होने के नाते भारतीय सशस्त्र सेनाओं में इसे लेकर चिंता बढ़ गई है। खासकर जब सशस्त्र सेना नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर की दिशा में आगे बढ़ रही है तथा सेटेलाइट्स [उपग्रह] पर निर्भरता बढ़ने के साथ एकीकृत अंतरिक्ष कमान के गठन की जरूरत महसूस की जा रही है।
रक्षामंत्री एके एंटनी ने हाल ही में एकीकृत अंतरिक्ष प्रकोष्ठ के गठन का ऐलान किया है। जनरल कपूर ने अंतरिक्ष को 'अल्टीमेट मिलिट्री हाईग्राउंड' बताते हुए साफ कहा कि सरकार को इस दिशा में बढ़ने से हिचकना नहीं चाहिए। उन्होंने माना कि आदर्श स्थिति यही है कि अंतरिक्ष को सैन्य गतिविधियों से दूर रखा जाए। लेकिन जब दूसरी ताकतें ऐसा कर रही हैं तो भारत पीछे नहीं रह सकता। अंतरिक्ष में ताकत बढ़ने से जमीनी जंग पर निर्णायक असर पड़ना अवश्यंभावी है। खासकर जब सर्विलांस, इंटेलिजेंस, नेविगेशन, कम्युनिकेशंस व प्रिसेशन गाइडेंस मौजूदा संघर्षो में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उनका इशारा इराक व अफगानिस्तान में चल रहे संघर्ष की तरफ था।
इस दौरान जनरल कपूर ने प्रस्तावित अंतरिक्ष कमान में थलसेना की बड़ी हिस्सेदारी का दावा भी ठोंक दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे किसी कमान का सबसे ज्यादा इस्तेमाल थल सेना ही करेगी। अपने दावे के पक्ष में उन्होंने अमेरिका की पांच अंतरिक्ष कमानों का उदाहरण देते हुए कहा कि इनमें से दो पूरी तरह थल सेना के लिए हैं।
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